जय श्री राम,
जीवन एक रंगमंच है और हम सब इस पर अपना अभिनय करने वाले कलाकार। रंगमंच के इन कलाकारों में एक जाना पहचाना किरदार है, जोकर। जोकर का नाम आते ही होठों पर एक हल्की सी मुस्कान स्वत ही आ जाती है। जोकर कभी हंसता है, कभी रोता है, कभी हंसते-हंसते रोने लग जाता है तो कभी रोते-रोते हंसने लग जाता है, गिरता है, उठता है, संभलता है, संभालता है तथा वह सारे कार्य करता है जिसे देख कर उसे देखने वाले आनंद का अनुभव करें। लोग उसे देख कर हंसते हैं और जैसे ही रंगमंच पर किरदार पूर्ण होता है पर्दा गिरता है देखने वाले अपने अपने घर चले जाते हैं। वास्तव में दुनिया का हर इंसान एक जोकर है। तथा वह अपने जीवन के रंगमंच में यही किरदार निभाता है। कई कार्यों को करने में असफल हो जाता है किन्हीं में सफल भी होता है। वह थोड़ा सा भी लड़खड़ाता है, गिरता है तो दुनिया उसे देखकर हंसने लग जाती है। वास्तव में जोकर यही सिखाना चाहता है कि आप लोगों को तभी पसंद आएंगे जब आप हर प्रकार की परिस्थितियों में रह सकें चाहें आपको ख़ुशी हो या दुःख।
आशीष कुमावत
Assistant Professor of Physics
Biyani College Science and Management Kalwar, Jaipur